
वाराणसी, 2 दिसंबर . काशी तमिल संगमम के चौथे संस्करण के तहत तमिलनाडु से आए छात्रों का जत्था मंगलवार को उत्तर प्रदेश के वाराणसी पहुंचा. ट्रेन बनारस रेलवे स्टेशन पर पहुंची तो प्रशासन की तरफ से स्वागत किया गया. डमरू और ढोल-नगाड़े की ध्वनियों के बीच पुष्प वर्षा के साथ छात्रों का अभिवादन किया गया. कुल 216 छात्रों का यह दल कन्याकुमारी से अपनी यात्रा शुरू कर वाराणसी पहुंचा है.
यात्रा के दौरान इन छात्रों ने काशी के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों का अवलोकन किया. आज इन छात्रों का प्रमुख कार्यक्रम काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन रहेगा. इसके बाद शाम को नमो घाट पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी इनकी भागीदारी होगी, जहां वे तमिल और काशी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का आनंद लेंगे.
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य काशी और तमिल संस्कृति के ऐतिहासिक संबंधों को और मजबूत करना है. दोनों क्षेत्रों के बीच सांस्कृतिक संवाद बढ़ाने और आपसी समझ को गहरा करने के लिए यह आयोजन एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है.
काशी तमिल संगमम का यह संस्करण छात्रों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति की विविधता को भी प्रस्तुत करता है.
उद्घाटन से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कार्यक्रम के लिए अपनी खुशी जाहिर की.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, “मैं आज बाबा विश्वनाथ के निवास, पवित्र शहर वाराणसी में ‘काशी तमिल संगमम’ के चौथे संस्करण का गवाह बनूंगा, जो एक भारत-श्रेष्ठ भारत की एक जीवंत अभिव्यक्ति है.”
उन्होंने कहा, “‘लेट्स लर्न तमिल’ थीम के साथ शुरू होने वाला यह बड़ा कार्यक्रम एक बार फिर उत्तर और दक्षिण भारत की संस्कृति और परंपराओं को एक धागे में पिरोने का जरिया बनेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में आज का ‘न्यू इंडिया’ वैदिक और सांस्कृतिक चेतना के शिखर पर है.”
अधिकारियों ने कहा कि चौथा संस्करण 2 दिसंबर को वाराणसी में शुरू होगा और समापन समारोह रामेश्वरम में होगा, जो भारतीय उपमहाद्वीप के पवित्र उत्तरी और दक्षिणी छोर को प्रतीकात्मक रूप से जोड़ता है.
इसमें उत्तरी राज्यों के विद्यार्थियों को जोड़ने पर खास फोकस है. वाराणसी और तमिलनाडु दोनों के कलाकार इसमें शामिल होंगे, जिसमें भारतीय ज्ञान और इसकी भाषाई विरासत में तमिल के योगदान का अन्वेषण किया जाएगा.
इस साल के कार्यक्रम में लोक संगीत, पारंपरिक खाने के मेले और मंदिर-विरासत के टूर भी होंगे, जिन्हें हिस्सा लेने वालों को तमिल और काशी की संस्कृतियों की जीवंत परंपराओं से रूबरू कराने के लिए डिजाइन किया गया है.
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एसएके/एएस