
नई दिल्ली, 2 दिसंबर . Supreme Court ने मंगलवार को कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा केंद्रीय संसदीय बोर्ड के सदस्य बीएस येदियुरप्पा को बड़ी राहत दी. Supreme Court ने येदियुरप्पा के खिलाफ दर्ज पोक्सो केस के फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही ट्रायल की कार्रवाई पर रोक लगा दी है.
सीजीआई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच येदियुरप्पा की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कर्नाटक हाईकोर्ट के 13 नवंबर के आदेश को चुनौती दी गई थी. कर्नाटक हाईकोर्ट ने पोक्सो एक्ट के तहत चार्जशीट पर ट्रायल कोर्ट के संज्ञान को बरकरार रखा था और येदियुरप्पा को ट्रायल के लिए पेश होने का निर्देश दिया था.
राज्य सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी करते हुए, सीजीआई सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने साफ किया कि वह नोटिस को इस मुद्दे तक सीमित कर रहे हैं कि क्या मामले को कर्नाटक हाईकोर्ट को वापस भेजा जाना चाहिए. Supreme Court ने इस बात पर ध्यान दिया कि कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले में कुछ बातें उसके पहले के निर्देशों से मेल नहीं खाती थीं और पिछले दौर के केस की गलतफहमी की वजह से हुई थीं.
येदियुरप्पा की ओर से पेश सीनियर वकील सिद्धार्थ लूथरा और सिद्धार्थ दवे ने कहा कि अभियोजन ने जरूरी बयानों को दबा दिया और कई कमियों के बावजूद ट्रायल कोर्ट ने बिना सोचे-समझे काम किया.
Supreme Court से इंसाफ में गड़बड़ी रोकने के लिए दखल देने की अपील करते हुए लूथरा ने कहा, “येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री के तौर पर चार बार काम किया है.”
17 साल की लड़की ने आरोप लगाया है कि येदियुरप्पा ने 2 फरवरी 2024 को अपने बेंगलुरु के घर पर उसका यौन उत्पीड़न किया, जब वह और उसकी मां पहले हुए हमले के बारे में उनसे मदद मांगने गई थीं.
चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि वह लड़की को एक कमरे में ले गए, उसकी कलाई पकड़ी और विरोध करने और भागने से पहले उससे छेड़छाड़ की.
येदियुरप्पा ने लगातार इन आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने पहले कहा था कि उन्होंने अपने घर के पास मिली एक परेशान मां-बेटी की मदद करने की कोशिश की थी, यहां तक कि उनकी मदद के लिए उस समय के बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर से भी बात की थी.
उन्होंने कहा था, “अगर हम मदद के लिए आगे आते हैं तो ये नतीजे भुगतने होंगे. मैं सब कुछ झेलूंगा.”
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एसएके/वीसी