
चेन्नई, 2 दिसंबर . तमिलनाडु के करूर जिले में सितंबर में हुई भगदड़ के मामले में राज्य सरकार ने Supreme Court में हलफनामा दाखिल कर सीबीआई को सौंपी गई जांच का विरोध किया है. मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की अगुवाई वाली डीएमके सरकार ने सीबीआई जांच के अंतरिम आदेश को वापस लेने और टीवीके पार्टी की याचिका को खारिज करने की मांग की है.
हलफनामे में सरकार ने कहा है कि राज्य पुलिस की जांच पूरी तरह निष्पक्ष और ठीक चल रही थी, इसलिए केंद्रीय एजेंसी की जरूरत नहीं है.
यह भगदड़ 27 सितंबर 2025 को अभिनेता से राजनेता बने थलपति विजय की टीवीके पार्टी की चुनावी रैली के दौरान मची थी. करूर के एक मैदान में हजारों समर्थक जमा थे, लेकिन, भीड़ प्रबंधन में लापरवाही के चलते अफरा-तफरी मच गई. इस हादसे में कई लोगों की मौत हो गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे. वहीं, कई लोग घायल हुए. राज्य सरकार ने मृतकों के आश्रितों को 10 लाख रुपए और घायलों को एक लाख रुपए मुआवजा देने का ऐलान किया था, जबकि टीवीके ने 20 लाख और 2 लाख रुपए की मदद का वादा किया.
मामला तब गरमाया जब टीवीके ने मद्रास हाईकोर्ट में स्वतंत्र जांच की मांग की. हाईकोर्ट ने राज्य पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित की, लेकिन पार्टी ने इसे पक्षपाती बताते हुए Supreme Court का रुख किया. अक्टूबर 2025 में Supreme Court ने टीवीके की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य एसआईटी की जांच पर रोक लगा दी और मामला सीबीआई को सौंप दिया.
अदालत ने इसे नागरिकों के मौलिक अधिकारों से जुड़ा गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय एजेंसी की जांच जरूरी है. जांच की निगरानी के लिए रिटायर्ड जस्टिस अजय रस्तोगी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पर्यवेक्षण समिति का गठन किया, जिसमें तमिलनाडु कैडर के दो आईपीएस अधिकारी भी शामिल हैं.
अब स्टालिन सरकार ने हलफनामे में दावा किया है कि राज्य द्वारा गठित एसआईटी पर कोई गलत नीयत या भेदभाव का आरोप साबित नहीं हुआ. सरकार ने कहा कि जस्टिस अरुणा जगदीशन की अगुवाई वाला न्यायिक आयोग पहले ही जांच कर रहा था, इसलिए सीबीआई का हस्तक्षेप अनावश्यक है.
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एसएचके/वीसी