
नई दिल्ली, 2 दिसंबर . श्रीलंका में आपदा पीड़ितों की सहायता के लिए भारतीय सेना का एक विशेष दल श्रीलंका पहुंचा है. भारतीय थलसेना द्वारा भेजा गया यह विशेष दल मुख्यत चिकित्सा, इंजीनियरिंग और सिग्नल्स से संबंधित विशेषज्ञ इकाइयों से मिलकर बना है. इनका उद्देश्य श्रीलंका के आपदा से प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत और पुनर्वास कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाना है.
भारतीय सेना यहां पीड़ितों को जीवन रक्षक चिकित्सा सहायता प्रदान कर रही हैं. सेना की मदद से श्रीलंका में क्षतिग्रस्त सड़कों, पुलों और बुनियादी ढांचे की मरम्मत की जाएगी. साथ ही बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए संचार सिस्टम को भी भारतीय सेना की सिग्नल्स यूनिट दुरुस्त करने में सहायता करेगी. भारत ने अपने पड़ोसी और घनिष्ठ मित्र देश श्रीलंका की सहायता के लिए ऑपरेशन ‘सागर बंधु’ के तहत भारतीय सेना का यह विशेष दल श्रीलंका भेजा है. यह त्वरित और समन्वित मानवीय राहत अभियान भारत–श्रीलंका के बीच गहरे संबंधों को दर्शाता है. साथ ही यह भारत की पड़ोसी प्रथम नीति का सशक्त प्रमाण भी है.
गौरतलब है कि श्रीलंका भयंकर चक्रवात ‘दित्वाह’ से प्रभावित हुआ है. चक्रवात से श्रीलंका में जान माल की हानि हुई है. कई स्थानों पर सड़क मार्ग पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं. कई स्थानों पर लोगों के घर बाढ़ और बरसात के पानी में डूब गए हैं. बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं, युवा, विदेशी सैलानी व अन्य लोग कई जगहों पर फंस कर रह गए थे. कई जगहों पर हर ओर पानी भर गया है. बाद में इन्हें हेलीकॉप्टर की मदद से बाहर निकाला गया. यही कारण है कि श्रीलंका जाने वाले सैन्य दल में तीन महत्वपूर्ण घटक शामिल हैं.
भारतीय थलसेना द्वारा भेजे गए दल में मुख्यत चिकित्सा, इंजीनियरिंग और सिग्नल्स से संबंधित विशेषज्ञ शामिल हैं. इस सैन्य दल का उद्देश्य श्रीलंका में आपदा से प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत और पुनर्वास कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाना है. सेना का चिकित्सा दल यहां जीवन रक्षक सहायता मुहैया कराएगा. इसमें भारतीय सेना की मेडिकल यूनिट शामिल हैं. इस ग्रुप में जख्मी व्यक्तियों के लिए एडवांस्ड ड्रेसिंग स्टेशन व मोबाइल सर्जिकल टीमें बनाई गई हैं.
सेना के मुताबिक इनके पास पूर्ण सुसज्जित ऑपरेशन थिएटर है, जो बड़े और छोटे दोनों तरह के ऑपरेशन व चिकित्सा करने में सक्षम हैं. इसके साथ ही चिकित्सा दल के पास एक ऐसी सुविधा भी है जिसमें एक समय में 20 से 30 मरीजों को भर्ती कर उपचार दिया जा सकता है.
सेना के अनुसार यह टीम आपदाग्रस्त क्षेत्र में घायलों को तत्काल प्राथमिक उपचार, सर्जरी और चिकित्सा निगरानी जैसी सेवाएं प्रदान कर रही है. वहीं इंजीनियरिंग दल यहां कई इलाकों में ध्वस्त हो चुके ढांचे और सेवाओं को पुनर्स्थापित करने में जुटा है. भारतीय सेना के इंजीनियरिंग विशेषज्ञ श्रीलंका में क्षतिग्रस्त सड़कों, पुलों और बुनियादी ढांचे की मरम्मत का कार्य शुरू कर रहे हैं. साथ ही पानी और बिजली जैसी आवश्यक सेवाओं की बहाली, मलबा हटाने तथा राहत सामग्री की आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए मार्गों का सुधार भी भारतीय सेना द्वारा सुनिश्चित किया जा रहा है. इन प्रयासों से प्रभावित क्षेत्रों में सामान्य जनजीवन को शीघ्र बहाल करने में बड़ी मदद मिल रही है. भारतीय सेना की सिग्नल्स यूनिट यहां निर्बाध संचार व्यवस्था उपलब्ध कराएगी.
गौरतलब है कि राहत कार्यों में संचार सबसे महत्वपूर्ण तत्व होता है. भारतीय सेना की सिग्नल्स यूनिट यह सुनिश्चित कर रही है कि राहत व बचाव दलों के बीच समन्वय निरंतर बना रहे और आपातकालीन संदेश और आदेश तेजी से पहुंचें. फील्ड टीमों और नियंत्रण कक्षों के बीच सुरक्षित और स्पष्ट संचार उपलब्ध कराना भी इसी टीम की जिम्मेदारी है. इससे राहत अभियानों की गति और दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. भारत और श्रीलंका के बीच सदियों पुराना सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सभ्यतागत रिश्ता रहा है. दोनों देशों ने हमेशा एक-दूसरे की कठिन घड़ी में सहायता की है.
भारत ने यह राहत अभियान इस सिद्धांत पर शुरू किया है कि मित्र की कठिनाई में साथ खड़ा रहना ही सच्ची साझेदारी है. ऑपरेशन ‘सागर बंधु’ के माध्यम से भारतीय सेना यह सुनिश्चित कर रही है कि श्रीलंका में सामान्य स्थिति शीघ्र बहाल हो सके और प्रभावित लोगों को हरसंभव सहायता मिल पाए. भारत ने स्पष्ट किया है कि वह इस चुनौतीपूर्ण समय में श्रीलंका का पूरा साथ देगा. भारतीय सेना का यह दल तब तक राहत और पुनर्वास कार्यों में जुटा रहेगा, जब तक हालात पूरी तरह सामान्य नहीं हो जाते.
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जीसीबी/एसके