
भुवनेश्वर, 2 दिसंबर . ओडिशा में पिछले दस सालों में मानव-वन्यजीव संघर्ष के दौरान 1,398 लोगों की जान चली गई. राज्य के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री गणेश राम सिंह खुंटिया ने मंगलवार को विधानसभा में यह जानकारी दी.
विधानसभा कार्यवाही के दौरान भाजपा विधायक अखिल चंद्र नाइक द्वारा पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए वन मंत्री ने आगे बताया कि ढेंकनाल वन प्रभाग में पिछले दस वर्षों में सबसे अधिक 251 मौतें हुई हैं. क्योंझर और अंगुल वन प्रभागों में इस अवधि के दौरान क्रमशः 125 और 119 लोगों की मृत्यु हुई है.
वन मंत्री द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने पिछले एक दशक में मानव-पशु संघर्ष में जान गंवाने वाले पीड़ितों के परिवारों को 6,174.68 लाख रुपए का मुआवजा दिया है. इस अवधि के दौरान विभाग ने ढेंकनाल वन प्रभाग में पीड़ितों के परिजनों को 1,014.20 लाख रुपए का मुआवजा दिया है.
इस बीच पिछले एक दशक में राज्यभर में विभिन्न कारणों से हाथियों, बाघों, तेंदुओं आदि सहित 5,609 जानवरों की मौत हुई है.
वन मंत्री ने सदन को बताया कि विभाग कई उपाय कर रहा है, जिनमें पशु आवासों में सुधार और सुरक्षा, पौधरोपण और पर्याप्त चारागाह का निर्माण, शिकार विरोधी दस्तों की तैनाती तथा उन्नत प्रौद्योगिकी और जन जागरूकता के माध्यम से पशु और शिकारियों की गतिविधियों पर निगरानी बढ़ाना शामिल है.
उन्होंने पिछले दस वर्षों में राज्य के विभिन्न वन प्रभागों और अभयारण्यों में की गई वन्यजीव गणनाओं का विवरण भी साझा किया. उन्होंने बताया कि इस अवधि के दौरान ओडिशा के जंगलों में 2,103 हाथी, 30 बाघ और 696 तेंदुए दर्ज किए गए. विभाग ने 2024-25 के दौरान रुशिकुल्या नदी के मुहाने और गहिरमाथा समुद्री वन्यजीव अभयारण्य में क्रमशः 9.04 लाख और 6.07 लाख ऑलिव रिडले कछुओं का भी दस्तावेजीकरण किया.
इसी प्रकार, 2024-25 में चिल्का लैगून और ओडिशा तट पर 159 इरावदी डॉल्फिन और 710 अन्य डॉल्फिन प्रजातियां दर्ज की गईं.
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एमएस/एबीएम