
वाराणसी, 3 दिसंबर . प्रतिबंधित कफ सिरप के अवैध कारोबार से जुड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वाराणसी में बड़ी कार्रवाई की है. मामले की जांच के लिए ईडी की टीम बुधवार को मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल के दो ठिकानों पर पहुंची और धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) से जुड़े पहलुओं की जांच शुरू की.
जानकारी के अनुसार, ईडी की टीम सुबह अचानक पहलाद घाट स्थित मकान और सिगरा क्षेत्र में स्थित दूसरे मकान पर पहुंची. टीम ने शुभम जायसवाल के घरों पर दस्तक देने के बाद आवश्यक दस्तावेजों की पड़ताल की और प्राथमिक जांच के बाद दोनों ठिकानों पर नोटिस चस्पा कर दिया.
ईडी ने यह नोटिस धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जारी किया है. इस नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि एजेंसी वित्तीय अनियमितताओं और प्रतिबंधित दवाओं से जुड़े अवैध कारोबार से हुई कमाई के स्रोतों की जांच कर रही है. ईडी का मानना है कि कफ सिरप की अवैध बिक्री से अर्जित धन को व्यवस्थित रूप से अन्य व्यवसायों और संपत्तियों में निवेश किए जाने की आशंका है. यदि जांच में वित्तीय लेन-देन और संपत्ति अर्जन को लेकर अनियमितताएं तथा धनशोधन के सबूत पाए जाते हैं, तो ईडी दंडात्मक कार्रवाई शुरू करेगी.
बता दें कि प्रतिबंधित कफ सिरप का मामला पिछले कई महीनों से चर्चा में है. इससे पहले, कोडीन सिरप मामले में लखनऊ एसटीएफ ने अमित कुमार सिंह उर्फ अमित टाटा को गिरफ्तार किया था. एसटीएफ की टीम ने गोमतीनगर के ग्वारी चौराहे से अमित कुमार सिंह को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद अमित कुमार सिंह ने पूछताछ में बताया था कि आजमगढ़ के रहने वाले विकास सिंह के माध्यम से शुभम जायसवाल से परिचय हुआ था. शुभम जायसवाल का एबॉट कंपनी की फेन्सेडिल कफ सिरप का शैली ट्रेडर्स के नाम से बड़ा कारोबार रांची, झारखंड में है.
नशे के तौर पर कोडीन युक्त फेन्सेडिल कफ सिरप को लेकर धनबाद में देवकृपा मेडिकल एजेंसी फर्म बनाई गई थी, जिसमें गिरफ्तार अमित टाटा ने 5 लाख रुपए लगाए थे. उसके बदले फायदे के तौर पर 22 लाख रुपए मिले थे. फायदे के लालच में अमित ने बनारस में भी ड्रग लाइसेंस लेकर फर्म खुलवाई थी.
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पीएसके