
लखनऊ, 5 दिसंबर . समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एसआईआर प्रक्रिया को लेकर योगी सरकार पर सीधा सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में अब तक कितने प्रतिशत एसआईआर पूरा हुआ है, इसकी स्पष्ट जानकारी सरकार को आज ही सार्वजनिक करनी चाहिए.
उन्होंने बीएलओ पर बढ़ते दबाव को लेकर भी गंभीर चिंता जताई.
अखिलेश यादव ने ‘एक्स’ पोस्ट के जरिए कहा कि बीएलओ पर ‘जानलेवा दबाव’ तुरंत हटाया जाए और समय के अनुसार अतिरिक्त अधिकृत कर्मचारियों की तैनाती की जाए. उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष और उससे जुड़े लोग पिछले दरवाजे से इस प्रक्रिया में दखल दे रहे हैं. यादव ने मांग की कि ऐसी गतिविधियों को तुरंत रोका जाए और सुनिश्चित किया जाए कि आगे भी ऐसा न हो.
इसके साथ ही उन्होंने एक और बड़ा आरोप लगाया कि कई विधानसभा क्षेत्रों में पीडीए (पिछड़े-दलित-अल्पसंख्यक) समाज के लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाने की साजिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि हर विधानसभा में इसकी गहन जांच-पड़ताल होनी चाहिए और किसी भी हालत में ऐसी कोशिशों को रोका जाना चाहिए.
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने प्रदेशभर के सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को एसआईआर को समयबद्ध और गुणवत्तापूर्वक पूर्ण कराने के निर्देश दिए हैं. मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में अब तक 12.69 करोड़ से अधिक (लगभग 82 प्रतिशत) मतदाताओं के गणना प्रपत्रों का डिजिटाइजेशन पूरा किया जा चुका है. इसके साथ ही 28,491 बूथों पर बीएलओ द्वारा शत-प्रतिशत डिजिटाइजेशन का कार्य सफलतापूर्वक सम्पन्न कर लिया गया है.
उन्होंने राज्य के सभी पात्र मतदाताओं से अपील की कि जो नागरिक अभी तक अपना गणना प्रपत्र बीएलओ को उपलब्ध नहीं करा सके हैं, वे अंतिम तिथि का इंतजार किए बिना शीघ्र गणना प्रपत्र भरकर जमा कर दें. रिणवा ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग ने एसआईआर की समयसीमा बढ़ाकर 11 दिसंबर 2025 कर दी है.
बता दें कि गुरुवार को Supreme Court ने एसआईआर प्रक्रिया के दौरान बीएलओ की मौतों के मामलों पर बेहद सख्त रुख अपनाया. तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टी टीवीके की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट को बताया गया कि देशभर में अब तक 35-40 बीएलओ की मौतें अत्यधिक काम के दबाव के कारण हो चुकी हैं. याचिकाकर्ता ने पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग की थी.
कोर्ट ने कहा था कि अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती की जाए ताकि कार्य के घंटे कम हो सकें.
Supreme Court ने यह भी कहा था कि बीमार, असहाय या अत्यधिक दबाव में काम कर रहे कर्मचारियों को केस-टू-केस आधार पर छूट दी जाए और उनकी जगह तुरंत अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए.
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विकेटी/वीकेयू