
नई दिल्ली, 2 दिसंबर . भारत और मालदीव की सेनाएं संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास के लिए साथ आई हैं. यह कदम रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. दोनों देश भारत के दक्षिणी छोर केरल में इस युद्धाभ्यास को अंजाम देने जा रहे हैं. भारतीय सेना के अनुसार भारत और मालदीव के बीच सैन्य सहयोग को नई गति देने वाले इस संयुक्त सैन्य अभ्यास का नाम ‘एकुवेरिन’ है.
भारत और मालदीव के बीच ‘एकुवेरिन’ अभ्यास का यह 14वां संस्करण है. केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में मंगलवार को यह अभ्यास प्रारंभ हो गया. भारतीय सेना ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह अभ्यास 2 दिसंबर से शुरू हुआ है और 15 दिसंबर तक चलेगा. इसमें दोनों सेनाओं की बराबर भागीदारी होगी. इस वर्ष के अभ्यास में भारतीय सेना के 45 सैनिक शामिल हैं, जिनका प्रतिनिधित्व गढ़वाल राइफल्स की एक बटालियन कर रही है. वहीं, मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स के 45 कर्मी भी बराबर संख्या में हिस्सा ले रहे हैं.
दोनों देशों की सेनाएं पूरे अभ्यास के दौरान सामरिक, रणनीतिक और व्यावहारिक प्रशिक्षण साझा करेंगी. रक्षा विशेषज्ञ इस सैन्य अभ्यास को रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण मान रहे हैं. उनके मुताबिक, ‘एकुवेरिन’ न केवल सैन्य अभ्यास है बल्कि यह दोनों देशों के बीच मित्रता का एक प्रतीक भी है. दरअसल, धिवेही भाषा में ‘एकुवेरिन’ का अर्थ ही ‘मित्र’ होता है. सैन्य अभ्यास को यह नाम भारत-मालदीव के बीच गहरे दोस्ताना संबंधों, पारस्परिक विश्वास और सैन्य सहयोग की निरंतरता के कारण दिया गया है. नाम के ही अनुरूप यह दोनों देशों की दोस्ती को भी दर्शाता है.
यह अभ्यास वर्ष 2009 में प्रारंभ हुआ था. तब से हर वर्ष यह बारी-बारी से भारत और मालदीव में आयोजित किया जा रहा है. यह भारत की पड़ोसी प्रथम नीति और इंडो-पैसिफिक में सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता का महत्वपूर्ण उदाहरण है. अभ्यास के मुख्य उद्देश्यों की बात करें तो 14 दिवसीय यह संयुक्त अभ्यास दोनों सेनाओं की क्षमताओं को कई क्षेत्रों में विकसित और मजबूत करने पर केंद्रित है. यह काउंटर-इंसर्जेंसी संचालन अभियानों पर केंद्रित होगा. यहां आतंकवाद उन्मूलन और विद्रोह निरोधक अभियानों में एक-दूसरे की तकनीकें और एसओपी साझा की जाएंगी.
तेजी से बदलती परिस्थिति में दोनों सेनाओं की संयुक्त प्रतिक्रिया क्षमता बढ़ाना भी एक बड़ा लक्ष्य है. यहां विविध भौगोलिक परिस्थितियों में प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है. इनमें घने जंगल, अर्ध-शहरी इलाकों में प्रशिक्षण, और तटीय क्षेत्रों में संयुक्त अभ्यास शामिल है. इन क्षेत्रों में संयुक्त पेट्रोलिंग, घर-घर तलाशी, घुसपैठ रोधी रणनीतियां, और मिशन-आधारित प्रशिक्षण शामिल होगा. सैन्य अभ्यास के दौरान दोनों दल सर्वोत्तम सैन्य प्रथाएं साझा करेंगे.
संयुक्त ऑपरेशनल प्लानिंग सीखेंगे व सामरिक स्तर पर गहरी समझ विकसित करेंगे. यह अभ्यास भारत व मालदीव के बीच बढ़ती सैन्य साझेदारी का संकेत है और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखने की दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को मजबूत करता है.
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जीसीबी/डीकेपी