
नई दिल्ली, 3 दिसंबर . रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय भारत दौरे पर पहुंचने वाले हैं. पुतिन के दौरे से पहले भारत-रूस के बीच डिफेंस डील को मंजूरी मिली है. रूसी संसद के निचले सदन ड्यूमा की तरफ से 3 दिसंबर को दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मंजूरी मिली. रूसी राष्ट्रपति के दौरे से पहले दोनों देशों ने अपनी दोस्ती को और मजबूत करते हुए इस डील पर हस्ताक्षर किया है.
रूस और भारत के बीच की दोस्ती काफी गहरी और पुरानी है. हालांकि, अब इस दोस्ती के साथ एक नए आयाम को मजबूती देने की तैयारी चल रही है. रक्षा सहयोग के अलावा रूस अब व्यापार में भी भारत का विश्वसनीय और मजबूत साझेदार बनना चाहता है. यही कारण है कि दोनों देश लंबे समय के बाद व्यापार के नए दरवाजे खोल रहे हैं.
रूसी संसद ड्यूमा ने आज भारत-रूस रेसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक सपोर्ट (आरईएलओएस) समझौते को मंजूरी दी है. बता दें, इसके तहत दोनों देश अपने सैन्य अड्डे, बंदरगाह, सप्लाई प्वाइंट, एयरफील्ड, सुविधाएं और संसाधनों को एक-दूसरे के साथ एक्सचेंज करेंगे. इसके साथ ही इस अभियान में होने वाला खर्च दोनों देशों की तरफ से उठाया जाएगा.
शांति कालीन सैन्य सहयोग और लॉजिस्टिक सहयोग के दौरान इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा. ध्यान रखने वाली बात यह है कि इस डील के तहत सैन्य अड्डे का इस्तेमाल किसी भी सैन्य संघर्ष के लिए नहीं किया जाएगा.
हालांकि, रूस से पहले अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, जापान, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, वियतनाम और अन्य देशों के साथ भारत ने यह समझौता कर रखा है. पिछले हफ्ते रूसी प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्तीन ने यह समझौता ड्यूमा को भेजा था. ड्यूमा की तरफ से अब इसे मंजूरी मिल गई है.
इससे पहले इंडिया हैबिटेट सेंटर में स्पुतनिक न्यूज द्वारा आयोजित एक मीडिया ब्रीफिंग में क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि यह दौरा भारत और रूस के संबंधों को और मजबूत करेगा, जिनकी नींव आपसी समझ, साझेदारी और नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था की साझा दृष्टि पर टिकी है. भारत के विकास के अहम चरणों में रूस हमेशा कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा है.
पेस्कोव के अनुसार रणनीतिक और रक्षा सहयोग संवेदनशील क्षेत्रों में आता है, लेकिन रूस नई और उभरती प्रौद्योगिकियों सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपना अनुभव भारत के साथ साझा करने के लिए पूरी तरह तैयार है. ऊर्जा सेक्टर को लेकर उन्होंने कहा कि रूस प्रतिस्पर्धी कीमतों पर भारत को ऊर्जा आपूर्ति जारी रखेगा, जो दोनों देशों के लिए लाभदायक है.
परमाणु ऊर्जा के मोर्चे पर भी उन्होंने मौजूदा सहयोग और भविष्य की परियोजनाओं की पुष्टि की. उन्होंने बताया कि रूसी सहयोग की बदौलत भारत के परमाणु उद्योग में “एक अलग सेक्टोरल इकोसिस्टम” तैयार हुआ है. भारत-रूसी द्विपक्षीय व्यापार फिलहाल 63 अरब डॉलर पर पहुंच चुका है और दोनों देशों ने वर्ष 2030 से पहले 100 अरब डॉलर के लक्ष्य को पार करने का संकल्प लिया है.
अमेरिका का नाम लिए बिना क्रेमलिन प्रवक्ता ने निशाना साधते हुए स्वीकार किया कि कुछ शक्तियां भारत और रूस के बीच व्यापारिक संबंध को बाधित करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन रूस इन चुनौतियों के बावजूद संबंधों को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है. व्यापार संतुलन सुधारने के लिए रूस भारत से आयात बढ़ाने की दिशा में सक्रिय है.
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केके/डीएससी