जिहाद इस्लाम की पवित्र शब्दावली है : मौलाना मदनी

नई दिल्ली, 2 दिसंबर . जमीयत-उलमा-हिंद प्रमुख मौलाना मदनी ने मंगलवार को कहा कि मुल्क के लोगों के लिए जिहाद की जानकारी होनी चाहिए. लोगों को इस बात का पता होना चाहिए कि कब और कैसे जिहाद की प्रक्रिया शुरू होती है.

उन्होंने से बातचीत में कहा कि देशवासियों को पता होना चाहिए कि जिहाद इस्लाम की पवित्र शब्दावली है. अगर किसी को इस्लाम से दिक्कत है तो वो सार्वजनिक तौर पर कहे कि मुझे इस्लाम मानने वाले लोग पसंद नहीं हैं. अगर ये लोग ऐसा ऐलान कर देते हैं तो इससे मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी. अगर कोई खुद को हिंदू या किसी अन्य धर्म का मानने वाला कहता है और इसके बाद इस्लाम को गलत तरीके से परिभाषित करने की कोशिश करता है, तो इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है. ऐसे लोग मुल्क में नफरत फैलाना चाहते हैं.

उन्होंने मुस्लिम वोटों के विभाजन के बारे में कहा कि मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है. आमतौर पर मुझे राजनीति से जुड़े विषयों की कोई जानकारी नहीं होती है और न ही मैं जानने के लिए इच्छुक होता हूं. ऐसी स्थिति में आपको इस बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाऊंगा कि मुस्लिमों का वोट बंट रहा है या नहीं.

मौलाना ने लाल किले के पास हुए हमले के संबंध में कहा कि अब तक जितने भी हमले हुए हैं, उनकी हमने निंदा की है. इस हमले की वजह से देश का नुकसान हुआ. कई बेगुनाहों को अपनी जान गंवानी पड़ी. हमने पहलगाम हमले की भी निंदा की थी, लेकिन हमें दो नुकसान हुए. पहले, एक तरफ जहां बेगुनाहों को अपनी जान गंवानी पड़ी, वहीं दूसरी तरफ हमारे इस्लाम का नाम भी बदनाम हुआ. ऐसी स्थिति में इन हमलों का हमारी तरफ से दोहरा विरोध किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि किसी ने पूछा था कि असल जिहाद का मतलब क्या होता है, तो इस पर जवाब देने वाले ने कहा कि दहशतगर्द को खत्म करना ही असल मायने में जिहाद होता है, तो ऐसी स्थिति में अगर हम देखें, तो जिहाद तो हम लोग ही कर रहे हैं.

साथ ही, उन्होंने कहा कि मैं हिंदुस्तान की राजनीति में ऐसी उम्मीद नहीं करता हूं कि कोई राजनीतिक दल ऐसा भी उभरकर सामने आए जो सिर्फ मुस्लिम समुदाय के हित के बारे में ही सोचे. मैं फिलहाल इस बारे में कल्पना भी नहीं करता हूं. राजनीति को सिर्फ मुस्लिमों के दृष्टिकरण से नहीं देखना चाहिए, बल्कि राष्ट्र निर्माण की दृष्टि से भी हमें देखना चाहिए.

उन्होंने कहा कि हमारे देश में कई ऐसी बुनियादी समस्याएं हैं, जिन्हें देखते हुए हमें राजनीति की असली परिभाषा समझनी चाहिए. मान लीजिए, अगर हम प्रदूषण की बात करें, तो यह आज की तारीख में बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है. चाहे आप वायु प्रदूषण की बात कर लीजिए, जल प्रदूषण की बात कर लीजिए, या दिमाग में भरे जा रहे प्रदूषण की बात कर लीजिए, हर जगह प्रदूषण की मार देखने को मिल रही है. ऐसी स्थिति में अगर बुनियादी समस्याओं के समाधान को केंद्र में रखते हुए राजनीति शुरू की जाए, तो देश की स्थिति बेहतर हो सकती है.

वहीं, उन्होंने संचार साथी ऐप पर भी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि संचार साथी के बारे में अभी संचार मंत्री कह रहे थे कि जो चाहे उसे डिलीट कर सकता है, तो ऐसी स्थिति में यह विषय अपने आप ही खत्म हो जाता है. अब हमें पूरी उम्मीद है कि इस संबंध में जारी अधिसूचना को जल्द ही समाप्त कर लिया जाएगा. हालांकि, यह गलत है. ऐसा नहीं होना चाहिए. अगर आपको किसी पर निगरानी करनी है, तो आप कर सकते हैं. आज की तारीख में बहुत सारे ऐसे विकल्प हैं, जिनके जरिए आप किसी पर भी निगरानी कर सकते हैं. मुझे नहीं लगता है कि इस तरह व्यवस्था विकसित करने की जरूरत है.

एसएचके/डीकेपी