नई दिल्ली, 6 दिसंबर . संसद में हाल ही में दी गई जानकारी के अनुसार, भारत में पिछले 11 वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में 6 गुना विस्तार हुआ है, जो कि 2014-15 के 1.9 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 2024-25 11.32 लाक करोड़ रुपए हो गई है.
यह उपलब्धि देश को एक महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर के रूप में स्थापित करने को लेकर महत्वपूर्ण है.
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने राज्यसभा में बताया कि भारत सरकार की इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर पॉलिसी पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ के विजन पर आधारित है.
उनके द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 2020 में शुरू हुई लार्ज स्केल इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए पीएलआई स्कीम ने 14,065 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित किया है.
मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग को लेकर उन्होंने जानकारी दी कि पिछले 11 वर्षों में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स की कुल संख्या 2 से बढ़कर 300 से अधिक हो गई है. एलएसईएम के लिए पीएलआई के शुभारंभ के बाद से मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग 2020-21 में 2.2 लाख करोड़ से बढ़कर 5.5 लाख करोड़ हो गई है.
देश के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात को लेकर केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 2014-15 में 38 हजार करोड़ रुपए से आठ गुना बढ़कर 2024-25 में 3.26 लाख करोड़ रुपए हो गया है. मोबाइल निर्यात भी लगभग 22 हजार करोड़ से बढ़कर 2.2 लाख करोड़ से अधिक हो गया है. इसी के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स अब तीसरी सबसे बड़ी एक्सपोर्ट कैटेगरी है.
उद्योग का अनुमान है कि इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर अब लगभग 25 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है.
केंद्रीय राज्य मंत्री जितिन प्रसाद के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग की सफलता के आधार पर सरकार ने 2022 में सेमीकंडक्टर के विकास के लिए कार्यक्रम शुरू किया. सरकार का ध्यान सेमीकंडक्टर के पूरे इकोसिस्टम को विकसित करने पर है. वहीं, 3 वर्ष से भी कम समय में 1.6 लाख करोड़ के संचयी निवेश के साथ दस सेमीकंडक्टर यूनिट को मंजूरी दी गई है.
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